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NewsModel
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NewsDate
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9/20/2025 10:29:00 AM
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Place
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Jind
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Source
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news
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Grade
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a
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Main_Topic
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मुख्य मुद्दा: जींद के 12 गांवों की महिलाओं ने साफ कहा है कि वे अपनी उपजाऊ जमीन किसी कीमत पर सरकार को नहीं देंगी। हजारों की संख्या में महिलाएं व ग्रामीण डीसी कार्यालय पहुंचे और IMT प्रोजेक्ट का विरोध किया। महिलाओं ने रोजगार के दावों को ठुकराते हुए कहा कि जमीन ही उनकी असली पहचान और भविष्य है।
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Incident
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घटनाक्रम: 12 गांवों की महिलाएं सामूहिक रूप से डीसी कार्यालय पहुंचीं। महिलाओं का स्पष्ट बयान—“जमीन हमारी जान है, किसी हालत में नहीं देंगे।” ग्रामीणों ने रोजगार बढ़ाने के सरकारी दावे खारिज किए। महिलाओं ने कहा—“सरकार खड़ी हो सकती है, पर जमींदार का कुछ नहीं बिगाड़ सकती।” विरोध में महिलाओं की निर्णायक भूमिका, ग्रामीण एकजुटता का प्रदर्शन।
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Background
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मुद्दे का पूर्व विवरण: हरियाणा की राजनीति में भूमि अधिग्रहण हमेशा बड़ा सवाल रहा है। चौधरी देवीलाल और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने किसानों के हक़ में कई योजनाएं दीं—जैसे ओल्ड एज पेंशन, कर्ज माफी, मुफ्त सिंचाई व रोजगार योजनाएं। यही कारण है कि आज महिलाएं भी आंदोलन की अगुवाई कर रही हैं, क्योंकि उन्हें विरासत में यही सीख मिली कि जमीन और किसान हित की रक्षा हर हाल में करनी है।
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AffectedClasses
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प्रभावित वर्ग: जींद जिले के 12 गांवों की महिलाएं किसान परिवार (विशेषकर जिनकी जमीन IMT में अधिग्रहित होनी है) भविष्य की पीढ़ी (खेती से रोज़गार व जीवन जुड़ा) स्थानीय पंचायतें और महिला समूह
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Strategy
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रणनीति एवं संगठनात्मक कार्य योजना: 24 घंटे – महिला पंचायतें आयोजित कर एकजुटता दिखाना, सोशल मीडिया पर “महिलाओं की आवाज़” अभियान। 2 दिन – महिलाओं द्वारा हस्ताक्षर अभियान; डीसी कार्यालय को सामूहिक ज्ञापन। 3–5 दिन – जिला स्तर पर महिला सम्मेलन, अन्य जिलों की महिलाओं को जोड़ना। गांव-गांव महिला चौपालें, युवतियों को भी आंदोलन में शामिल करना। प्रेस व सोशल मीडिया पर महिला नेताओं के वीडियो संदेश जारी करना। राज्यव्यापी महिला मोर्चा गठित करना—“जमीन बचाओ, बेटी बचाओ” थीम पर।
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Strategy1
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Strategy3
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Strategy4
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Question_To_Govt
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सरकार से सवाल: महिलाओं की सहमति लिए बिना जमीन क्यों अधिग्रहित की जा रही है? रोजगार के दावों का ठोस आधार क्या है? उपजाऊ जमीन की जगह बंजर भूमि पर प्रोजेक्ट क्यों नहीं? फर्जी पोर्टल एंट्री और साइन की जांच कब होगी? क्या सरकार मानती है कि महिलाओं की आवाज़ भी किसानों की असली आवाज़ है?
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Question_To_Govt1
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Social_Media
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सोशल मीडिया हैशटैग: फेसबुक: #MahilaShakti #ZameenBachao #JindProtest ट्विटर: #WomenAgainstIMT #SaveLandSaveFuture #HaryanaWomenPower इंस्टाग्राम: #KisanKiBeti #ZameenHamariJaan #MahilaMorcha
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Press_Release
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प्रेस रिलीज़ (लगभग 200 शब्द): जींद की धरती पर आज एक ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला। 12 गांवों की महिलाएं हजारों की संख्या में डीसी कार्यालय पहुंचीं और साफ घोषणा कर दी—“हमारी जमीन हमारी जान है, इसे किसी कीमत पर नहीं देंगे।” भाजपा सरकार उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए उपजाऊ जमीन छीनने पर तुली है, लेकिन अब महिलाएं भी इस संघर्ष की अगुवाई कर रही हैं। महिलाओं का कहना है कि सरकार रोजगार के नाम पर झूठे दावे कर रही है। असलियत यह है कि हमारी जमीन ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी और रोजगार है। अगर इसे छीन लिया गया तो हमारी आने वाली पीढ़ियां बर्बाद हो जाएंगी। हरियाणा की बेटियां अब यह संदेश दे रही हैं कि वे न जमीन छोड़ेंगी और न ही आंदोलन से पीछे हटेंगी। सरकार को चेतावनी है—अगर महिलाओं की आवाज़ दबाने की कोशिश हुई, तो आंदोलन और भी बड़ा रूप लेगा। भाजपा सरकार किसानों और महिलाओं के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करे, वरना आने वाले समय में उसे जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा।
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Video_Advice
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ग्राफिक्स / वीडियो सुझाव: डीसी कार्यालय पर एकजुट महिलाओं का फोटो/वीडियो। “जमीन = जान” का विजुअल पोस्टर। महिलाओं के नारे व चेतावनी का शॉर्ट वीडियो क्लिप।
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Press_Conference
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ग्राउंड इवेंट / प्रेस कॉन्फ्रेंस: स्थान: जींद, डीसी कार्यालय के बाहर तारीख: 22 सितम्बर 2025 वक्ता: महिला पंचायत प्रतिनिधि, पार्टी नेता उद्देश्य: महिला शक्ति को सामने लाना, सरकार को सीधी चेतावनी देना।
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Public_Meetings
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जनसभा में कहने योग्य लाइन: “बेटियों की पुकार – जमीन है हमारी जान, नहीं देंगे किसी को भी दान!”
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Question_In_Assembly
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प्रेस/ जनसभा में सरकार से सवाल: महिलाओं को आंदोलन पर मजबूर क्यों होना पड़ा? रोजगार के नाम पर जमीन छीनना क्या धोखा नहीं? फर्जीवाड़े पर कब होगी कार्रवाई? उपजाऊ जमीन क्यों, बंजर क्यों नहीं? क्या भाजपा सरकार महिला शक्ति की अनदेखी कर सकती है?
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